Tuesday, May 13, 2025
Google search engine
Homeराष्ट्रीयपुणे में ड्रैगनफ्लाई प्रजातियों पर अध्ययन, पर्यावरणीय बदलावों का खुलासा

पुणे में ड्रैगनफ्लाई प्रजातियों पर अध्ययन, पर्यावरणीय बदलावों का खुलासा

एमआईटी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे के शोधकर्ताओं ने पुणे में ड्रैगनफ्लाई प्रजातियों की आबादी में हुए बदलावों पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया गया कि पिछले दो दशकों में आठ प्रजातियाँ गायब हो चुकी हैं, जो अनियोजित शहरीकरण, जल प्रदूषण और मौसम में बदलाव के कारण हुई हैं। हालांकि, 27 नई प्रजातियाँ जुड़ी हैं, जो सिटीजन साइंस और कीटों की बढ़ती जागरूकता का परिणाम है।

इस स्टडी में पश्चिमी घाट के इलाके में पाए जाने वाले 5 प्रजातियों की मौजूदगी भी दर्ज की गई, जिससे ओडोनेट्स की स्टडी के लिए पुणे की इकोलॉजिकल अहमियत और बढ़ गई। पुणे जिले में ओडोनेट्स (ड्रैगनफ़्लाई और डैमसेल्फ़लाई) के लंबे समय से इलाके में मौजूदगी का पता लगाने के लिए पहली बार इस तरह की स्टडी की गई है, जिसमें लगभग दो सदियों में इनकी प्रजातियों के लुप्त होने और नई प्रजातियों के जुड़ने को उजागर किया गया है।

शोध में पश्चिमी घाट क्षेत्र में 5 ड्रैगनफ्लाई प्रजातियों की मौजूदगी का भी उल्लेख किया गया है, जिससे पुणे की पारिस्थितिकी के महत्व को और बढ़ाया गया। इस अध्ययन में पुणे जिले के 52 क्षेत्रों से डेटा एकत्र किया गया और यह शोध ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल इन्सेक्ट साइंस’ में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता डॉ. पंकज कोपार्डे का कहना है कि ड्रैगनफ्लाईज़ पर्यावरणीय स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं और उनकी आबादी पर नजर रखना जरूरी है। इस अध्ययन ने बायोडायवर्सिटी में बदलावों को समझने में मदद की है और भविष्य में ऐसे बदलावों की निगरानी के लिए लंबे समय तक मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट्स की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

एमआयटी – वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) के शोधकर्ता अब इन निष्कर्षों के आधार पर मुला नदी के किनारे ड्रैगनफ़्लाई पर शहरीकरण और जल प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने लंबे समय के मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट्स की भी शुरुआत की है, ताकि समय के साथ विविधता में होने वाले बदलावों की निगरानी की जा सके।

अध्ययन करने वाली रिसर्च टीम में शामिल, अराजुश पायरा ने कहा, “हमें पहाड़ियों, घास के मैदानों, नदियों और झीलों के साथ-साथ शहरों में मौजूद इसी तरह के हरे-भरे इलाकों की हिफाजत को सबसे ज्यादा अहमियत देनी चाहिए। शहरों के तेजी से हो रहे विस्तार के बीच कुदरती इकोसिस्टम को बचाए रखने के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्लानिंग बेहद जरूरी है।”

 

Reported By: Arun Sharma

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

देहरादून

Recent Comments