Tuesday, May 13, 2025
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उत्तराखंड में भूस्खलन और जाम: एक बड़ी चिंता

उत्तराखंड में बार-बार होने वाले भूस्खलन और जाम राज्य की आर्थिकी और जनता की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन चुके हैं। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नेरेबिलिटी ज़ोन्स ऑन चार धाम यात्रा रूट” में बदरीनाथ और सिरोबगड़ के बीच 20 संवेदनशील भूस्खलन जोन की पहचान की है। इन क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण यात्रा मार्गों के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।

नौटियाल ने बताया कि कई जगहों पर पहले भी चट्टानें गिर चुकी हैं और सड़कों पर गहरी दरारें हो चुकी हैं। इसके अलावा, कुमाऊं क्षेत्र में हुए भूस्खलन ने क्षेत्र की आर्थिकी को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। रिपोर्ट में भूस्खलन से निपटने के लिए पांच सुरक्षा उपायों का सुझाव दिया गया है, जिनमें सड़क सुदृढ़ीकरण, रिटेनिंग वॉल, जल निकासी, चेतावनी प्रणाली और नियमित निगरानी शामिल हैं।

एसडीसी फाउंडेशन ने रिपोर्ट में भूस्खलन से निपटने के लिए पांच प्रमुख सुरक्षा उपायों का सुझाव दिया है। इनमें शामिल हैं:

  1. सड़क की सतहों को मजबूत करना: जो हिस्से भूस्खलन से प्रभावित हैं, उनकी मरम्मत और सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए।
  2. रिटेनिंग वॉल या वायर मेश लगाना: भूस्खलन को रोकने के लिए इन संरचनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए।
  3. जल निकासी व्यवस्था में सुधार: बारिश के पानी को प्रभावी तरीके से बाहर निकालने के लिए जल निकासी व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए।
  4. चेतावनी प्रणाली स्थापित करना: यात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए चेतावनी देने वाली प्रणाली लागू की जानी चाहिए।
  5. निगरानी और रखरखाव: नियमित निगरानी और सड़क की मरम्मत का काम जारी रखना चाहिए, ताकि किसी भी आपात स्थिति का सामना किया जा सके।

इसके साथ ही, आपात स्थिति में बचाव और राहत अभियान को त्वरित रूप से शुरू करने की योजना पर भी काम करने की आवश्यकता है।

एसडीसी फाउंडेशन की इस रिपोर्ट को राज्य के आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है, ताकि इन समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जा सके।

Reported By: Rajesh Kumar

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