राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता आर पी जोशी ने केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 हेतु आयकर छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख किए जाने को लेकर परिषद की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस छूट को कार्मिकों के लिए नाकाफी बताया है, जिसका मुख्य कारण 1 जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर यह छूट नगण्य साबित होना है ।
परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि यह छूट नई कर व्यवस्था में की गई है, इसका अर्थ यह है कि पुरानी कर व्यवस्था के अनुरूप टैक्स देने वाले कार्मिकों को अब मजबूरन नई कर व्यवस्था को ही चुनना होगा और नई कर व्यवस्था में उसे पुरानी कर व्यवस्था में मिलने वाली होम लोन पर ब्याज की छूट, 80 सी की छूट, ट्यूशन फीस एवं अन्य कई तरह की छूट नहीं मिल पाएंगी, जिससे उसे एक तरफ इनकम टैक्स और दूसरी तरफ महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी ।साथ ही यह छूट मात्र उन्हीं कार्मिकों को प्राप्त होगी जिनका वेतन बारह लाख रुपए या इससे कम है अन्यथा एक रुपए अधिक होने पर उन्हें निर्धारित दरों पर आयकर देना होगा। उचित होगा कि समस्त उन कार्मिकों को भी इस छूट का लाभ मिले जिनकी आय बारह लाख रुपए से अधिक है।
परिषद के प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने कहा कि स्लैब में जो आगामी वित्त वर्ष में टैक्स 4 लाख तक शून्य, 4 से 8 लाख तक 5% किया गया है, उसे 10 लाख तक शून्य, तत्पश्चात 10 से 15 तक 5%, 15 से 20 लाख तक 10% इस क्रम में किया जाता तो इसका वास्तविक लाभ कार्मिकों को मिल पाता ।
Reported By: Arun Sharma